रात में ये तेल शरीर के इन 4 अंगों पर लगा लेना | Apply this oil on these 4 body parts at night


रात में ये तेल शरीर के इन 4 अंगों पर लगा लेना |

दोस्तों, आज की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप इस तेल को इन चार अंगों में लगाते हैं, तो आपका शरीर स्वतः अपने सभी बीमारियों को नष्ट कर देगा, यानी खुद को ठीक कर देगा. कौन-सी अंगों में तेल लगाना चाहिए? आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। दोस्तों, आपको कहानी पढ़नी चाहिए। आज आप इस उपदेश को सुनकर सफल जीवन जी सकते हैं। और इस जानकारी से पहले, दोस्तों सुनते हैं भगवान बुद्ध का एक उपदेश।


बुद्ध को एक दिन एक राजा ने देखा। बुद्ध का आश्रम बहुत व्यस्त था। राजा ने भगवान से पूछा कि क्या वह अकेले में बुद्ध से कुछ कहना चाहेंगे। बुद्ध ने कहा कि हर जगह अकेला है। राजा ने फिर कहा कि मैं तथागत संन्यास करना चाहता हूँ। बुद्ध ने गंभीर हो गया। वे कहा कि दीक्षा से पहले आपको मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी। राजा ने कहा कि मैं सिर्फ दीक्षा लेने और संन्यस्त होने के लिए तैयार हूँ. फिर तथागत बुद्ध ने कहा, अपने कपड़े उतार दो, अपने जूते उतार दो और नग्न हो जाओ. फिर जूते मारकर अपने राजमार्गों पर चक्कर लगाकर आओ। राजा अनजान था। वर्तमान बुद्ध क्या कह रहे हैं? राजा हूँ। मैं नग्न हो जाऊंगा और अपनी ही सड़कों पर जूते लगाकर चक्कर लगाऊंगा। लेकिन राजा को संन्यास लेना था, इसलिए उन्होंने भगवान बुद्ध के आदेशों को मान लिया और वैसा ही करने के लिए निकल पड़ा। राजकुमार ने भी ऐसा ही किया। वह नग्न होकर राज्य की सड़कों पर जूते मारते हुए दौड़ने लगा. उसके चले जाने पर एक शिष्य ने बुद्ध से कहा कि भंते, हम तुम्हें दीक्षा लेने आए थे और तुम्हें ऐसी कठोर शर्त नहीं लगाई थी। आप स्वयं करुणा का प्रतीक हैं। फिर राजा के साथ इतना क्रूर व्यवहार क्यों करते थे?

तब भगवान बुद्ध ने कहा कि जब लोग संन्यास लेने आए थे, तो उनका अहंकार बहुत कम था, इसलिए लोगों से घर घर भिक्षाटन करवाना ही काम था। राजा बहुत अच्छा है। यह भी बहुत अहंकारी है। यही कारण है कि जितना बड़ा रोग उतनी बड़ी दवाई। इसलिए महारोग की दवा भी अधिक प्रभावी है।

किसी अज्ञात कारण से मैंने भी इनकी परीक्षा इतनी कठिन की है। राजा का अहंकार टूट गया होगा जब वह अपनी ही जनता के सामने से गुजरेगा। शाम तक अपनी शर्त पूरी करने के बाद राजा ने बुद्ध के चरणों में गिरकर कहा, "अब तो मुझे दीक्षा देकर मुझे संन्यस्त करो।" अब तुम्हें संन्यास लेने की जरूरत ही नहीं है, भगवान बुद्ध ने कहा और राजा के सिर पर मुकुट रखा।

जाओ और साक्षी भाव से नियंत्रण करो। दोस्तों, देखो कि भगवान बुद्ध ने एक राजा को क्या उपदेश दिया और उसका जीवन शुद्ध कर दिया. अब तुम राजस्व हो। दोस्तों, आप इस छोटे से भाषण से क्या सीखा? कमेंट में हमें अवश्य बताइएगा, ताकि हम अब पता लगा सकें। स्वास्थ्य के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी।

रात में ये तेल शरीर के 4 अंगों पर लगा लेना 


क्या आप जानते हैं कि हमारा शरीर इन तीन दोषों से बना है? हमारा शरीर पांच भागों से बना है और इसमें तीन दोष हैं। वात, पित्त और कफ दोषों को जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सभी बीमारियाँ इन तीन दोषों से पैदा होती हैं।

यही कारण है कि पित्त, वात और कफ दोष आपके शरीर का सबसे बड़ा दोष हैं। 60 से 70 प्रतिशत लोगों को बीमारी होगी अगर उनके शरीर का वात दोष गड़बड़ हो जाएगा। 15 से 20 प्रतिशत बीमारियां आपके शरीर में पित्त दोष से होती हैं, जबकि 5 से 10 प्रतिशत बीमारियां कफ दोष से होती हैं। अब इस तीनों प्रवृत्ति हमारे शरीर में कब तक रहती हैं, जन्म से बाल्यकाल तक?

यानी जब हम जन्म लेते हैं और 14 साल की उम्र तक हमारे शरीर में अधिक कफ होता है? इस समय अधिक कफ बनता है। इसे प्रकृति ने दिया है। हमारा शरीर ग्रो करने से कफ बनता है। हमारे शरीर में ये कफ बहुत महत्वपूर्ण हैं, इसलिए उन्हें बनाना जरूरी है। हमें बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने बच्चों को ऐसी कोई चीज नहीं देना चाहिए जो उनका कफ बढ़ा दे।

बच्चे उस समय कुछ नहीं जानते, इसलिए माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए। हमें सिर्फ अपने बच्चे को कुछ भी ऐसा नहीं देना चाहिए जिससे वह और अधिक कठोर हो जाए। क्या होगा अगर हम उन्हें कफ बनाने वाली चीज नहीं खिलाते? हम सभी को टीवी, दमा, अस्थमा, इस्नोफिलिया और अन्य कफ से संबंधित 5 से 10 प्रतिशत बीमारी पर ध्यान देना चाहिए।

तब हम आते हैं। बाल्यवस्था से युवावस्था की आयु कितनी होती है? हमारा शरीर 15 से 60 साल की उम्र में युवा अवस्था में होता है। हमारे शरीर में इस समय सबसे अधिक पित्त होता है। सबसे ज्यादा पित्त बनाता है, इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम ऐसी कोई भी चीज नहीं खाएं जो पित्त दोष को बढ़ाता है।

हमारे शरीर में 15 से 20 प्रतिशत बीमारियां होती हैं अगर हमारे शरीर में पित्त दोष होता है। तब हम 60 साल की उम्र में वृद्ध हो जाते हैं। हमारे शरीर में वर्तमान में वात दोष बढ़ता है, और वात दोष से संबंधित 60 से 70 प्रतिशत बीमारियां हमारे शरीर में होती हैं, तो क्या आप समझ गए कि आपके शरीर में इन तीन दोषों का क्या महत्व है?

यही कारण है कि इन तीन बुराईयों से संबंधित जो भी जानकारी आपके पास है, उसे प्राप्त करें और उसे अपने जीवन में लागू करें। कारण को दूर करें और इन तीन दोषों से जुड़े खाद्य पदार्थों का ध्यान रखें। इस दोष को बढ़ाने वाली चीजें कभी नहीं खाना चाहिए। अब आप इन तीनों दोषों के बारे में जान गए हैं, तो अब पांच तत्वों से आपका शरीर बना है।

आपका शरीर पांच तत्वों से बना है: प्रोटीन्स और विटामिन्स। यदि आप इन पांच तत्वों और तीन दोषों में से किसी एक में कमी करते हैं, तो आपका शरीर बीमार हो जाएगा, अन्यथा नहीं। अब आपका शरीर बीमार होने के कारणों को समझ गया है? जैसे कुछ लोग रोते हैं, भगवान ने हमें ये दुःख या बीमारी दी।

हमारी गैस्ट्रिक अल्सर है। हमें थायराइड, रक्तचाप और शुगर हो गया। क्या हुआ? भगवान ने नहीं प्रदान किया जब प्रकृति आपसे भोजन करने के नियमों का पालन करने को कहती है, तो आपने खुद पाला है। पानी पीने के नियमों को मानें। तुम इस प्रकृति के नियम का पालन क्यों नहीं कर रहे हो? जबकि ये समान घटक हमारे शरीर में भी हैं। प्राकृतिक सामग्री से ही बना है। हमारा शरीर भी पानी, खाना और पोषक तत्वों से ही बना है।

आपको इन सभी नियमों का पालन करना होगा। अब जब वह हमारा पित्त दोष बता रहा है कि अगर आप इसे नहीं खाते तो पित्त बढ़ेगा, तो आप इसे खाते क्यों हैं? आप पिज्जा बर्गर खाते क्यों हैं? आप चाय और चीनी क्यों खाते हैं? तुम मैदा क्यों खाते हो? जब आप ये सारी चीजें खा रहे हैं तो आपको एसिडिटी होगा और आपका पाचन तंत्र खराब होगा, जो आपको कई बीमारियां देगा।

आप खुद कर रहे हैं, ब्रह्मांड नहीं, भगवान नहीं हम आप इसे स्वयं जानते हुए कर रहे हैं। हम अपनी जीभ से अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए ये सब छोड़ दीजिए। अब बात करते हैं कि हमें अपने शरीर पर कौन सा तेल लगाना चाहिए और कहाँ? क्या आप समझ गए कि आपका शरीर कैसे बना है? आपको इसे सुरक्षित रखने का जिम्मा है। आप खुद इसे सुरक्षित रखें। शरीर के चार महत्वपूर्ण अंगों से सभी नसें जुड़ी हुई हैं।

यह चार सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं: आपके पैर का तलवा, आपकी नाभि, आपकी नाक और आपका सर. आपको इन चारों जगहों पर तेल लगाना चाहिए। मुख्य बात यह है कि कब और कैसे लगाना है। इसलिए चलो।

पहला है पैर का तलवा: जब कोई व्यक्ति सुबह उठकर नंगे पैर जमीन पर या हरी घास पर मॉर्निंग वॉक करता है, तो उसकी आँखों की रौशनी कभी कम नहीं होती।

इसलिए आपको अपने पैरों के तलवे पर शुद्ध तोरी का तेल लगाना चाहिए। शुद्ध सरसों का तेल भी लगा सकते हैं। रात में सोने से पहले गुनगुने पानी से अपने पैर धो लीजिए। पैर धोने के बाद उसे अच्छी तरह साफ कर लीजिए। जब आप बिस्तर पर लेट जाएंगे, तो सूख जाएंगे। और अपने हाथ से मसाज करें। रात में सोते समय शुद्ध सरसों का तेल लगाएं. पाँच मिनट तक दोनों हाथों पर मालिश करने से आपको गर्म महसूस होगा। आप तुरंत सो जाएंगे। नींद का टैबलेट दूसरे दिन बंद हो जाएगा अगर आप डिप्रेशन में हैं और नींद नहीं आ रही है। आपको नींद के लिए एक टैबलेट की जरूरत ही नहीं होगी। आपकी मूर्खता दूर हो जाएगी।

याद करना बहुत जल्दी होता है। 10 बजे आप सो जाते हैं और आपके दिमाग की सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। 4 बजे से पहले आप नींद में ही रहेंगे। पैर के तलवें में तेल लगाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, याददाश्त तेज होती है, भूख लगती है, शरीर को शक्ति और ऊर्जा मिलती है, यानी शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं. नींद के दौरान यह बहुत अच्छा काम करता है।

दूसरा स्थान है। नाभि: जो आपके शरीर में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। नाभि के पीछे पेकोटि ग्रंथि (शरीर की सबसे शक्तिशाली ग्रंथि) में तेल लगाना चाहिए। आप अपने घर में छोटे बच्चों को तेल से मालिश करते देखा होगा, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। पुरानी माताओं ने बच्चे को हर दिन आठ से दस बार तेल से मालिश की थी। उसने कहा कि उनकी हड्डियां जितनी बार तेल की मालिश करेंगे, उतनी ही मजबूत होंगी। और घर पर निर्मित शुद्ध सरसों का तेल था। और उसने शुद्ध सरसों, घर का तेल और किसका बनाया। किसी सरसों को घुनकर उसे रोल करने से पहले मालिश करती थी, फिर उसे छोड़ देती थी। लेकिन आज की мода बदल गई है। विभिन्न केमिकल युक्त तेलों से लोग मालिश कर रहे हैं। ये काम का नहीं है। मित्रों, सरसों का तेल बच्चों की मालिश के लिए सबसे अच्छा है, इसलिए कंपनियां हमें मूर्ख बनाती हैं और बीमार करती हैं। और गांव में आज भी माताएं सरसों के तेल से बच्चों को मालिश करती हैं।

आप आसानी से गांव के बच्चों की तुलना में शहर के बच्चों की कमजोरी का अनुमान लगा सकते हैं। दोस्तों, आपकी नाभि आपके शरीर का सबसे शक्तिशाली भाग है। तो माता-पिता पहले फूंक मारती थीं जब वे नाभि पर तेल लगाती थीं। फूंक मारने के बाद तेल लगाया गया था। और मैं दिन में ३ से ४ बार तेल लगाती थी, तो आज से आपको भी रात में सोते समय नाभि में शुद्ध सरसों का तेल लगाना होगा।

नाभि में तेल लगाने के क्या लाभ हैं? आप इसे जानकर हैरान हो जाएंगे।

पहला लाभ: आप अच्छी नींद लेंगे।
दूसरा लाभ: मन की कोई समस्या नहीं होगी।
तीसरा लाभ: तुम्हारा पाचन तंत्र मजबूत रहेगा।
चौथा लाभ: आपको भूख लगेगी।
पांचवां लाभ: आपके शरीर का हर दर्द दूर होगा।
छठा लाभ: आपकी आँखों की रौशनी बढ़ जाएगी। यानी शरीर के हर अंग को लाभ देती है।

तीसरा है आपकी नाक: नाभि हुई, पैर का तलवा हुआ। अब आंख, कान और नाक आते हैं। मित्रों, आपको नाक में क्या करना चाहिए? गाय का शुद्ध देसी घी लेने पर एक बूंद दायीं नाक में और एक बूंद बायीं नाक में लगानी चाहिए।

रोजाना दोनों नाक में एक-एक बूंद डालें; इसके इतने लाभ हैं कि मैं गिनाते-गिनाते थक जाऊंगा। आपकी मूर्खता दूर हो जाएगी, तीन से चार महीने के अंदर पागलपन का इलाज बंद हो जाएगा। ठीक हो जाएगा अगर कान के पर्दे में छेद है। आपकी नींद की परेशानी दूर हो जाएगी। आपकी याददाश्त कमजोर है, लेकिन आपकी याददाश्त तेज होगी। शरीर की कमजोरी दूर होगी। आप पूरी जिंदगी जुकाम नहीं करेंगे। सर्दी की नाक, जुकाम, तुम नहीं होगा।

चौथा है आपका सर: सिर आपके शरीर का पूरा दिमाग से जुड़ा हुआ एक अंग है। यदि गर्मी का समय है तो आप स्नान करेंगे। जब आपके बालों का पानी सूख जाए तो सिर पर शुद्ध सरसों का तेल लगाएं। 10 मिनट बाद आपको सिर पर सरसों का तेल लगाकर मालिश करने से नींद आना शुरू हो जाएगा। सिर में सोते समय तेल लगाने से बाल पकना रुक जाएगा। आपको अच्छी नींद आएगी। दिमाग की याददाश्त मजबूत होगी, शरीर की शक्ति बढ़ेगी और कमजोरी दूर होगी। सिर पर तेल लगाने से आपको यानी की शरीर की पूरी शक्ति मिलेगी।

इसलिए शुद्ध सरसों तेल को इन चार अंगों पर लगाएं और देसी घी को अपने नाक में डालें. आपको एक स्वस्थ और तंदुरुस्त शरीर मिलेगा। जैसा कि पहले कहा गया था, ये हमारा शरीर हैं। हमारे शरीर हमारे ऊपर है। हम इसे कैसे संभालते हैं? मान लीजिए आप एक कपड़ा पहनते हैं, कितनी सेफ्टी से? आप उसे पहनते हैं, खासतौर पर सफेद कपड़ा। पहन से निकल जाते हैं। तो आप उसे इतना सुरक्षित रखते हैं कि वह किसी गंदे स्थान पर न पड़ जाए। यह कपड़ा सफेद है, इसमें दाग लग जाएगा।

जिस तरह आप अपने शरीर की देखभाल खुद करते हैं, उसी तरह चलते हैं और फिर आते ही खूंटी में निकालकर आराम से टांग देते हैं ताकि कोई दाग न लगे, फिर अगले दिन उसे सावधानी से प्रेस आइरन या कुछ भी लगाते हैं। आप इस शरीर की उतना ही देखभाल करेंगे, उतना ही आप स्वस्थ और स्वस्थ रहेंगे। तो हमने बताया है कि इसका पालन करें। यदि आप प्राकृतिक नियम का पालन करते हैं, तो आप इन चार स्थानों पर तेल लगाना शुरू कर देंगे।

दोस्तों, मुझे लगता है कि इस कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिला है. कृपया हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताएं और इसे अपने दोस्तों से भी शेयर करें। धन्यवाद..।

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